मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विरुद्ध अपमानजनक भाषा निन्दनीय
गालीबाजी करके लोकतंत्र का ना बनाएं मजाक -- मनोज द्विवेदी
अनूपपुर / आन्दोलन, धरना - प्रदर्शन, भाषण , बयानबाजी , विरोध करना लोकतंत्र के अभिन्न अंग हैं। लेकिन इसकी आड़ में मुख्यमंत्री सहित किसी भी लोकप्रिय जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं , आम व्यक्ति के विरुद्ध गाली - गलौच की भाषा का कोई स्थान नहीं है। विगत दिवस भोपाल में एक संगठन के प्रदर्शन की आड़ में प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के विरुद्ध अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया। इसकी जितनी भी निन्दा की जाए वह कम है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। इसके बावजूद सभी राजनैतिक दलों को ऐसे आचरण की खुली और स्पष्ट निंदा करके ऐसे तत्वों को हतोत्साहित करना चाहिए ।
भारतीय जनता पार्टी अनूपपुर के पूर्व जिला मीडिया प्रभारी एवं भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष मनोज कुमार द्विवेदी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान के विरुद्ध अपमानजनक भाषा के उपयोग पर कड़ी आपत्ति करते हुए कहा है कि श्री शिवराज सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेता होने के साथ - साथ मध्यप्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भी हैं। उनका अपमान प्रदेश के करोड़ों मतदाताओं और प्रदेश की आम जनता का अपमान है। यद्यपि करणी सेना ने उक्त आरोपी से किसी तरह के संबंधों से इंकार किया है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। ऐसे किसी भी शख्स को समाज में बढावा नहीं दिया जा सकता जिसमें संस्कार, मर्यादा ना हो। मुख्यमंत्री सहित किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध ऐसी किसी भी अपमानजनक भाषा को कोई भी स्वस्थ समाज बर्दाश्त नहीं कर सकता। श्री द्विवेदी ने कहा है कि लोकतंत्र में विरोध के अपने संसदीय और मर्यादित तरीके हैं। मर्यादा का उल्लंघन करके कोई भी समाज या व्यक्ति अपने कल्याण की कल्पना नहीं कर सकता । किसी को भी अपने समाज की बेहतरी चाहना है तो सर्वप्रथम उसे संवैधानिक एवं वैधानिक सभी शर्तों और नियमों कानूनों को मानना होगा तभी उसका कल्याण संभव है। समाज के सभी वर्गों को इसके विरुद्ध खुल कर सामने आना चाहिए ।
उल्लेखनीय है कि भोपाल में करणी सेना के आन्दोलन के दौरान एक व्यक्ति ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के विरुद्ध अपमानजनक भाषा का उपयोग किया था। जिसके विरुद्ध मामला कायम किया गया है और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।
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