[1/17, 11:49] Chaitanya Mishra: प्रेस विज्ञप्ति*जनजातीय स्वावलंबन का अमृत काल**मिनिस्ट्री आफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी, भारत सरकार की परियोजना*

[1/17, 11:49] Chaitanya Mishra: प्रेस विज्ञप्ति
*जनजातीय स्वावलंबन का अमृत काल*
*मिनिस्ट्री आफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी, भारत सरकार की परियोजना*
अनुपपुर। वनांचल से पलायन तथा नौकरी की तलाश कर रहे जनजातीय युवा एवं छात्रों को स्वावलंबी बनाने स्थानीय संसाधन तथा उनकी अभिरुचि के अनुसार उन्हें स्वयं के उद्यम का मालिक बनाने के लिए क्षमता निर्माण प्रशिक्षण में निशुल्क पंजीयन प्रारंभ है। मिनिस्ट्री आफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी की परियोजना के अंतर्गत ट्राईबल एंटरप्रेन्योरशिप के अंतर्गत वनऔषधि प्रोड्यूसर कंपनी, वनोपज फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी, वनधन विकास केंद्र तथा सहकारिता आधारित कास्ट - मेटल शिल्प सहित जनजातीय परंपरागत उद्यम को टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन के साथ क्वालिटी प्रोडक्ट के उत्पादन के लिए सहकारिता आधारित उद्यम तथा एमएसएमई प्रारंभ करवाने के लिए जनजातियों का क्षमता निर्माण प्रशिक्षण किया जा रहा है, इससे जनजाति समाज के युवा पर्यावरण सहकारिता, जल सहकारिता, कुटुंब प्रबोधन के साथ सांस्कृतिक उद्यमिता को प्रारंभ कर सकेंगे। परियोजना के मुख्य-अन्वेषक अधिष्ठाता प्रो (डॉ) विकास सिंह है। ऑनलाइन प्रवेश लिंक: bit.ly/3X8wZTL पर क्लिक कर पंजीयन करा सकते है।  
*जनजातीय उद्यमिता में 6 लाख करोड़ के व्यापार का अवसर*
परियोजना के जोनल समन्वयक मोरध्वज पैकरा तथा खेलन सिंह ओरके ने बताया कि जनजातियों के स्वावलंबन के लिए इस अमृत काल में देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान महामहिम राष्ट्रपति के साथ-साथ मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल तथा अनूपपुर जिला में जिलाधीश जनजातीय समुदाय को गौरवान्वित कर रहे हैं, भारत की स्वाधीनता के 75वां और जनजातीय पूर्वजों के गौरव को स्मरण कर जनजातीय युवाओं को इस अमृतकाल में वनऔषधि, वनोंपज, जनजातीय कला एवं शिल्प आधारित उद्यम के माध्यम से जनजातीय समुदाय देशभर में कम से कम 6लाख करोड़ का व्यापार कर सकते है और इससे समस्त जनजाति समाज देश की आर्थिक समृद्धि में भागीदार होंगे तथा अब कोई भी जनजातीय बीपीएल नहीं रहेगा, इसी संकल्प से सिद्धि के लिए जनजातीय उधमिता का यह क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। न्यूक्लियर फैमिली के बजाय परिवार / समाज के सदस्य मिलकर सहकारिता-उद्यमिता प्रारंभ करें जिससे पारिवारिक और सामाजिक एकता के साथ अर्थोपार्जन हेतु स्वरोजगार एवं उद्यमिता का उन्हें गूढ़ रहस्य इस क्षमता-निर्माण प्रशिक्षण में बताया जाएगा, भारत के 10 करोड़ जनजातीय परिवार के लिए जनजातीय-उद्यमिता आधारित उद्यम शुरू करने उन्हें अग्रेषित करने की योजना है। विभिन्न जनजातियों के विशेषता उनके सांस्कृतिक विरासत तथा परंपरागत कार्यों को उद्यमिता तथा स्वरोजगार में बदलकर जनजातीय संस्कृति और पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए उन्हें उद्यमी बनाने का यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम है। जनजातियों को नौकरी कर नौकर बनने की मानसिकता से बाहर निकालकर उन्हें अपना स्वयं का उद्यम शुरू कर मालिक बनने उनके क्षमता निर्माण करने के लिए उधमिता के अनेक आयाम पर प्रशिक्षित किया जायेगा। 64-कलाओं आधारित सांस्कृतिक स्टार्टअप, सोलह सिंगार स्टार्टअप, हर्बल ब्यूटी - डेकोरेटिव प्रोडक्ट्स फैशन एसेसरीज आधारित मातृशक्ति उधमिता, 108 जड़ी-बूटी आधारित हर्बल स्टार्टअप, मोटाअनाज आधारित 1008 भारतीय व्यंजनों का रेडी टू ईट स्टार्टअप, छप्पन-भोग खानपान उधमिता, 108 भारतीय मसाला स्टार्टअप, वनौषधि- आयुष स्टार्टअप, ट्रेडिंग, जनजातीय उधमिता, हथकरघा-बुटीक गारमेंट्स स्टार्टअप, हस्तशिल्प, गोबर उत्पाद, पूजन सामग्री स्टार्टअप, फूड प्रोसेसिंग स्टार्टअप, शिल्प एवं हथकरघा, डेयरी स्टार्टअप, बेकरी स्टार्टअप, महुआ स्टार्टअप, जैव उर्वरक स्टार्टअप, घरेलू / दैनिक उपयोग की वस्तुओं का स्टार्टअप, चमरा - फुटवियर, बायोप्लास्टिक स्टार्टअप, स्पोर्ट्स आइटम स्टार्टअप्स, नेचुरोपैथी एक्यूप्रेशर स्टार्टअप, संगीत एवं मनोरंजन उपकरण स्टार्टअप, स्टार्टअप सहित युवाओं के अभिरुचि के अनुसार एमएसएमई/ स्टार्टअप को प्रारम्भ करवाने की योजना पर कार्य चल रहा है।
: *अपसे निवेदन है कि इस ख़बर को अपने प्रतिष्ठित अख़बार में स्थान दें।*

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