शराब माफियाओं को लाभ पहुँचा रही है आबकारी व पुलिस लापरवाही पर कलेक्टर ने दिए आदेश

शराब माफियाओं को लाभ पहुँचा रही है आबकारी व पुलिस  लापरवाही पर कलेक्टर ने दिए आदेश


अवैध शराब के मामले में पुलिस और आबकारी द्वारा बरती जा रही है लापरवाही कलेक्टर ने जारी किए आदेश चालान पेश करने में होने वाली लापरवाही पर जांच अधिकारी के वेतन से वसूला जाएगा राजस्व की राशि शराब माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए पुलिस और आबकारी चालान में नहीं लगाती हैं पूर्व सजा के प्रमाण पत्र जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने कलेक्टर को लिखा था पत्र कलेक्टर अनूपपुर में पुलिस अधीक्षक अनूपपुर और जिला आबकारी अधिकारी अनूपपुर को दिए निर्देश, जानिए क्या कहा निर्देश में

अनूपपुर:- अनूपपुर कलेक्टर सोनिया मीणा ने आज एक निर्देश जारी करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक अनूपपुर जिला आबकारी अधिकारी अनूपपुर को यह निर्देशित किया है कि आबकारी अधिनियम के प्रकरणों में चालान प्रस्तुति के संबंध में आरोपियों के पूर्वक किए गए अपराध और उनकी सजा का प्रमाण पत्र चालान के साथ लगाया जाना आवश्यक है यह निर्देश उन्होंने जिला लोक अभियोजन अधिकारी अनूपपुर के पत्र क्रमांक डी.पी.ओ/अनूपपुर/810/2022 दिनांक 20 सितंबर 2022 के जवाब में जारी किया है इस मामले को अनूपपुर कलेक्टर ने गंभीरता से लेते हुए जिला पुलिस अधीक्षक और आबकारी अधिकारी को यह निर्देशित किया है कि अवैध शराब बिक्री के मामले और उस पर शामिल लोगों पर कार्रवाई करते समय पुलिस और आबकारी अधिकारी इस बात का ध्यान रखें कि जिले के न्यायालय में चालान प्रस्तुत करते समय पूर्वक अब किए गए अपराध और सजा की जानकारी नहीं दी जा रही है जिससे अवैध शराब व्यापारी और उनके कारिंदे कम सजा में न्यायालय से छूट रहे हैं जिससे मध्यप्रदेश शासन को राजस्व की हानि हो रही है भविष्य में अगर इस तरह के अपराधिक गतिविधियों में चालान पेश करते समय जांच अधिकारी से अगर ऐसी लापरवाही की जाएगी तो हो रही राजस्व की हानि की वसूली संबंधित जांच अधिकारी से की जाएगी और उनके सेवा पुस्तिका में इस बात का उल्लेख भी किया जाएगा कलेक्टर के इस आदेश के जारी होने के बाद अनूपपुर जिला द्वारा अवैध शराब व्यापार में शामिल लोगों से कई गुना राजस्व की वसूली में बढ़ोतरी होने की संभावना है और साथ ही साथ अवैध शराब के व्यापार और उससे जुड़े हुए अपराध में अंकुश लगने की भी संभावना है जिला लोक अभियोजन अधिकारी राम नरेश गिरी ने बताया कि उनके द्वारा 20 सितंबर 2022 को एक पत्र अनूपपुर कलेक्टर को लिखा गया था और बार-बार इस पत्र का जिक्र किया गया है जिसके बाद इस पूरे मामले की समीक्षा करके 7 अक्टूबर 2022 को अनूपपुर कलेक्टर ने पत्र क्रमांक 4453 ए एस /एसडब्ल्यू/ 2022/ अनूपपुर दिनांक 7 अक्टूबर 2022 को जारी करते हुए पुलिस अधीक्षक अनूपपुर जिला आबकारी अधिकारी अनूपपुर को उक्त निर्देश जारी किए हैं

क्या लिखा है आदेश में:-

आबकारी अधिनियम के प्रकरणों के चालान प्रस्तुति के संबंध में। जिला लोक अभियोजन अधिकारी, जिला अनूपपुर का पत्र क्रमांक /डी.पी.ओ./अनू/810/2022 दिनांक 20.09.2022. विषयांतर्गत दिनांक 14.10. 2021 को जिले में पदस्थ अभियोजन अधिकारियों की बैठक में समीक्षा के दौरान सनसनी, पॉक्सो एक्ट सनसनी के साथ पॉक्सो एक्ट के प्रकरण, एस.सी.एस.टी. एवं पॉक्सो के प्रकरण, सनसनी, पॉक्सो एक्ट, एस.सी./एस.टी. एक्ट, गैर बैंकिंग जिसमे कुल लंबित प्रकरण कुल 317 में से मुख्यालय अनूपपुर में 141. तहसील कोतमा में 106 तथा राजेन्द्रग्राम में 70 प्रकरण लंबित होना बताया गया है। बैठक में अवगत कराया गया कि पुलिस विभाग के द्वारा आबकारी अधिनियम. के अंतर्गत कायम किए गए प्रकरणों में आबकारी विभाग से शराब/मादक पदार्थों का परीक्षण बगैर कराए सीधे मामननीय न्यायालयों में चालान प्रस्तुत किए जाते हैं जिससे आरोपी सहजता से दोषमुक्त हो जाते हैं। उक्त संबंध में आपको इस कार्यालय के पत्र क्रमांक 5035 दिनांक 22.11.2022 के द्वारा लेख कर अवगत कराया गया था।

आबकारी अधिनियम के अन्तर्गत माननीय न्यायालयों में प्रस्तुत किये जाने वाले प्रकरणों में पुलिस एवं आबकारी विभाग द्वारा बगैर मादक पदार्थों का परीक्षण कराए न्यायालय में विचारण हेतु प्रस्तुत किए जा रहे हैं और अधिक मात्रा अर्थात 50 लीटर से ऊपर वाले प्रकरणों में उसका पालन उक्त दोनों विभागों द्वारा नहीं किया जा रहा है। आबकारी अधिनियम के प्रकरणों में पूर्व सजायाबी की न तो सूची लगाई जा रही और न ही इस बात का प्रमाण-पत्र अभियोग पत्र में लगाया जा रहा है कि प्रस्तुत प्रकरण में आरोपी पूर्व में किसी भी न्यायालय से दोषसिद्ध नहीं हुआ है। यदि पूर्व दोषसिद्धि आरोपी का रिकॉर्ड प्रकरण के साथ संलग्न किया जाता तो माननीय न्यायालयों के द्वारा प्रथम दोषसिद्धि के आधार पर द्वितीय दोषसिद्धि किए जाते समय आरोपी पर दुगुना राशि, द्वितीय दोषसिद्धि के साथ यदि तीसरा अपराध किया जाता है तो उसे तीन गुना जुर्माने की राशि से व छः माह तक जेल का प्रावधान है। पुलिस विभाग एवं आबकारी विभाग द्वारा पूर्व सजायाबी की सूची अभियोग पत्र के साथ संलग्न नहीं की जाती और न ही इस बात बात प्रमाण-पत्र प्रस्तुत की जाती है जिससे अपराध का क्रम संख्या दर्शित नहीं होने पर प्रथम बार के जुर्माने पर ही आरोपी छूट जाता है और शासन को आर्थिक क्षति पहुंचायी जा रही है जो कतई उचित नहीं है तथा इस पर अंकुश लगाया जाना निहायत आवश्यक है।

अतः अतः भविष्य में इस तरह स्थिति निर्मित न हो इस हेतु त्वरित कार्यवाही की अपेक्षा है, तथा यह भी स्पष्ट किया जा रहा है कि उक्तानुसार कार्यवाही नहीं होने पर संबंधित अधिकारी से राज्य शासन के राजस्व को पहुंचाई गई क्षति उनके वेतन से वसूली किया जाकर कार्यवाही की प्रविष्टि सेवा अभिलेख में इंद्राज कराया जायेगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ