साइबर अपराध का मूल मंत्र है सावधानी हटी कि दुर्घटना घटी....त्रिपाठी (कुलपति

साइबर अपराध का मूल मंत्र है सावधानी हटी कि दुर्घटना घटी
....त्रिपाठी (कुलपति)

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के साइबर सेल द्वारा आज साइबर जागरूकता दिवस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें अध्यक्ष वि.वि. के माननीय कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी और 
मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश सागर जी ADGP शहडोल थे।

आज के कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. पी.के. सामल द्वारा साइबर जागरूकता दिवस के परिचय से हुई तत्पश्चात आज के मुख्य अतिथि श्री सागर जी ने साइबर अपराध से जुड़ी कुछ व्यावहारिक बातों को बताया उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर उदाहरणों के माध्यम से साइबर अपराध को समझाया साथ में पीपीटी के माध्यम से साइबर अपराध को कैसे बढ़ावा मिलता है। उसमें एक आम नागरिक किस तरह अपनी नासमझी से ठगी का शिकार होता है, इसको उन्होंने विस्तार से बताया। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मोबाइल से दूर रहने के लिए या मोबाइल के सदुपयोग के लिए समझाइश दी। श्री सागर ने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीअटल जी की कविताओं को अपने व्याख्यान के दौरान कई बार उल्लेखित किया।साइबर अपराध से बचने का मूल मंत्र दिया कि हमें अपने मोबाइल पर और लिंक पर हमेशा ताले का चिन्ह देखना चाहिए। हमको अपने सभी डिवाइस लॉक करके रखने चाहिए और अनवंछित लिंक को कभी भी खोलना नहीं चाहिए। यदि साइबर अपराध शिकारी को तत्काल बिना झिझक पुलिस को अवश्य जानकारी देना चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने कहा कि आज का योग सूचना और क्रांति का योग है। आज हर जगह तकनीक के माध्यम से क्रांति हो रही है। ऐसे में हर मोड़ पर हमारे सामने प्रश्न खड़े हो रहे हैं और यह प्रश्न इसलिए खड़े हो रहे हैं क्योंकि क्रांति का दूसरा पक्ष अपराध से जुड़ा हुआ है जिसे साइबर अपराध का नाम दिया गया है। इसलिए हमें स्वयं को और अपने घर को बचाना है, तो उसका तरीका है कि हम लालच, मोह और क्रोध से बचें क्योंकि यह तीन कारण ही शिकार बनने के होते हैं। कहा जाता है, कि "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी" इसको मूल मंत्र मानना चाहिए। आज प्रत्येक स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। ऐसे में हमें हमारे समाज और हमारे पूर्वजों से मिले संस्कार, संस्कृति और परंपरा का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि  हम क्या देख रहे हैं, हम क्या बोल रहे हैं और हम क्या सुन रहे हैं, यह तीनों चीजें अपने उद्गम के साथ ही हवा में रहती हैं और पूरे ब्रह्मांड में इनका अस्तित्व है। लेकिन आज कुछ ऐसी तकनीक आ गई है जिसके माध्यम से कुछ ही मिनटों में पूरी दुनिया के सामने आपके व्यक्तित्व को परोसा जा सकता है। साइबर अपराध तभी बढ़ेगा जब हम असावधानी के साथ आगे बढ़ेंगे साइबर अपराध को रोकना है तो हमें सावधानी जरूर बरतना चाहिए। साइबर अपराध या ठगी से बचने के लिए सरकार एवं बैंकों द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों का हमें पालन करना चाहिए।

आज के कार्यक्रम की सफलता का श्रेय विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विभाग के डॉक्टर पी. नारायण भोसले जी को जाता है जिनके अथक प्रयासों से यह कार्यक्रम संपन्न हो सका कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन कंप्यूटर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज कुमार राठौर द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक कर्मियों के अतिरिक्त विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

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